भारी भरकम नाश्ते के उपरान्त भी दोपहर का भोजन पंजाबियों के तन्दूर से बने व्यंजन तन्दूरी रोटी नॉन, भरवाँ नान पनीर टिक्का, दाल मक्खनी, दाल तड़का, राजमा चावल, कढ़ी चावल, छोले चावल, छोले भटूरे नरगीसी कोफ्ता, एवं सबसे विशिष्ट ग्रामीण आँचल की महक लिये पालक बथूआ व सरसों को धीमी आँच पर पकाया सरसों का साग व मक्का की रोटी (मकई की रोटी) स्वाद के शौकीनों को बरबस आकर्षित करती रहती है दाल मक्खनी की बात करें तो मक्खन में उड़द की दाल को राजमा के साथ पकाया जाता है जो कुछ-कुछ गाढ़ापन लिये होती है जिसे तन्दूर की रोटी के साथ भरपूर स्वाद के लिए खाया जाता है। काबुली सफेद चनों को पकाने की कई विधियाँ है किन्तु काला व हल्का भूरापन लिये पिण्डी छोले पंजाबियों का मुख्य भोजन है जिसे तन्दूरी रोटी नॉन व महकते चावलों के साथ खाया जाता है। पंजाबी समुदाय खान पान में कभी समझौता नहीं करता देश या विदेश में रहने वाले पंजाबी अपनी आजीविका को पहनने ओढ़ने व स्वादिष्ट भोजन की सन्तुष्टि में ही अधिक खर्च करते है। अक्सर घरों, ढाबों व होटलों में तन्दूर का अधिक उपयोग किया जाता है। तन्दूरी रोटी, तन्दूरी नॉन तन्दूरी भरवाँ नान तन्दूरी पराठे तन्दूरी भरवाँ पराठे स्वाद के रसियाओं को आकर्षित करते रहते हैं। आम भारतीय जहाँ मक्खन व घी से परहेज कर दूरी बनाने का प्रयास करते है वहीं पंजाबियों के खानपान में मक्खन व शुद्ध देशी घी मुख्य घटक है। पंजाबी मानते है कि शरीर को सेहतमन्द रखने के लिये मक्खन व घी हड्डियों के जोड़ों में तरलता बनाये रखने के लिए बनाये हैं। मैदे से बने कुलचे व छोले भी पंजाबियों द्वारा बड़े चाव से खाये जाते है।
मिठाईयों में भी आटे घी, ड्राई फूट बनी पंजाबी पिन्नीयाँ भी विशेष पहचान लिये हुए है जिसे हम लड्ड के नाम से जानते है।
प्रकृति प्रदत्त पाँच नदियों के किनारे बसा पंजाब प्रान्त का पानी हल्का होने के कारण शीघ्र भोजन को पचा देने की क्षमता रखता है यही कारण है कि पंजाबी खानपान के शौकीन होने के साथ छोटे-छोटे अन्तराल पर कुछ न कुछ खाना पसन्द करते है।
मक्खन व घी युक्त भोजन के कारण पंजाबियों की शारीरिक गठन व आभायुक्त मुखमण्डल भी प्रसिद्ध है। बलिष्ठ भुजाओं व चौड़े कन्धे के पुरुष व गौरवर्ण आभायुक्त तन्दुरुस्त महिलायें खानपान, भाषाशैली व विशिष्ट पहनावे विश्व विख्यात हैं।
शान से जीना शान से खाना व भरपूर मस्ती के संग परम्पराओं व संस्कृति को सहेजना कोई पंजाबीयों से सीखे।