अयोध्या पर फैसला समझ से परे है : मौलाना सैयद अरशद मदनी

 


अयोध्या पर फैसला समझ से परे है : मौलाना सैयद अरशद मदनी


नई दिल्ली। अयोध्या फैसले के बाद मीडिया से मुखातिब हुए जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला समझ से परे है। फैसला यह आया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई। मंदिर तोड़ने का कोई सबूत नहीं है। बाबरी मस्जिद किसी दूसरे के इबातगाह को तोड़कर नहीं बनाया गया है। यह भी कहते है जिन्होंने मस्जिद को तोड़ा है वह अपराधी है, मुजरिम है और फिर उन्हीं अपराध करने वालों को बाबरी मस्जिद दी जा रही है। हमारी समझ से बाहर है यह फैसला।


 

मदनी ने यह भी कहा कि विवाद की बुनियाद ही थी कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। बाबर ने जबरदस्ती ताकत के बल पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे नकार दिया। इसके बावजूद उन्हीं अपराधी को जमीन दे दी गई जिन्होंने बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। मदनी से पूछा गया कि क्या आप इस मसले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट लेकर जाएंगे तो इससे सीधा इंकार करते हुए कहा कि यह मुल्क हमारा है, सुप्रीम कोर्ट हमारा है। यह हमारा मसला है, उलेमा का मसला है, इसके लिए मुल्क से बाहर जाकर कुछ नहीं करेंगे। इंटरनेशनल कोर्ट में नहीं जाएंगे। 70 साल हमने निचली अदालत, हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी। कोई दरवाजा नहीं था जिसे नहीं खटखटाया। यह मसला हमारी नाक का नहीं था लेकिन सवाल यह है कि हक किसका था। सुप्रीम कोर्ट यह कह दे कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई तो हमारा वहां कोई हक नहीं है। हमारा मजहब भी कहता है कि मंदिर तोड़कर बनाई गई मसजिद पर नमाज नहीं कर सकते। यह भी कहा कि मस्जिद में नमाज होती है या नहीं होती है वह मस्जिद ही है। मिसाल के तौर पर दिल्ली में कई मस्जिद हैं जहां नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है फिर भी वह मस्जिद है। सुप्रीम कोर्ट मान रहा है कि मस्जिद थी। इसका मतलब है कि वह मस्जिद है। हमारी नजर में आज भी वह मस्जिद है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जमीयत उलेमा हिन्द की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक चल रही है। कार्यसमिति की बैठक के बाद ही तय करेंगे कि आगे क्या किया जाए।