उपरोक्त सर्वेक्षण के परिणाम के ठीक विपरीत, देश में पिछले कुछ समय से लगातार यह माहौल बनाया जा रहा है कि भारत में मंदी छायी हुई है एवं देश की अर्थव्यवस्था बहुत ही ख़राब स्थिति में पहुँच गई है।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान संस्था “नीलसन” द्वारा हाल ही में सम्पन्न किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2019 को समाप्त तिमाही में भारत में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक का स्तर पूरे विश्व में सबसे अधिक पाया गया है। भारत 138 अंकों के साथ पूरे विश्व में प्रथम पायदान पर रहा है एवं यह स्तर पिछले 6 तिमाहियों के दौरान का सबसे ऊँचा स्तर है। उपरोक्त उच्च स्तरीय उपभोक्ता विश्वास सूचकांक, जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में आई कमी के बावजूद पाया गया है। उक्त सर्वेक्षण में दक्षिण कोरिया को 56 अंक, जापान को 79 अंक, ताईवान को 84 अंक, सिंगापुर को 92 अंक, ऑस्ट्रेलिया को 94 अंक, चीन को 115 अंक एवं इंडोनेशिया को 126 अंक मिले हैं।
बैंक ऋणों में वृद्धि दृष्टिगोचर होने लगी है। ऋण:जमा अनुपात में सुधार हुआ है जो 17.08.2018 के 75.36 से बढ़कर 16.08.2019 को 76.36 हो गया है। वर्ष दर वर्ष में वृद्धि के आधार पर, उद्योग क्षेत्र को प्रदान की गई ऋणराशि की वृधि दर जुलाई 2018 में 0.3 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई 2019 में 6.1 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार, कृषि एवं सहायक गतिविधियों में वृद्धि दर इसी अवधि में 6.6 प्रतिशत से बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो गई है। हालाँकि, सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर 23 प्रतिशत से नीचे गिरकर 15.2 प्रतिशत हो गई है। फिर भी, कुल ऋणों में वृद्धि दर 10.6 प्रतिशत से बढ़कर 11.4 प्रतिशत हो गई है।
जून 2019 माह में समाप्त तिमाही में जमाराशि में वृद्धि दर 10.1 प्रतिशत की रही जो पिछले वर्ष इसी तिमाही में 7 प्रतिशत थी। इसी तरह ऋण राशि में भी वृद्धि दर 11.1 प्रतिशत से बढ़कर 11.7 प्रतिशत की रही। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण का लक्ष्य, जो कुल ऋणों का 40 प्रतिशत निश्चित किया गया है, सरकारी क्षेत्र के बैंकों ने वर्ष 2011 के पश्चात पहली बार वर्ष 2019 में प्राप्त किया है। अर्थात्, यह ऋण वर्ष 2012 के मार्च माह में 37.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2019 के मार्च माह में 42.6 प्रतिशत हो गए। समाज के कमज़ोर वर्गों को भी ऋण प्रवाह में हाल ही के समय में तेज़ी देखने में आई है। यह जुलाई 2018 से जुलाई 2019 वर्ष के दौरान 16.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए रुपए 6.7 लाख करोड़ के स्तर पर पहुँच गया है। इसी प्रकार, ग़रीब तबके को प्रदान किए जा रहे सूक्ष्म वित्त एवं छोटे आकर के ऋणों में भी 52 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह सब, देश के ग़रीब तबके को बैंकों के साथ जोड़ने के कारण सम्भव हो सका है। यह वर्ग अब निजी साहूकारों के स्थान पर बैंकिंग संस्थानों से ऋण ले रहा है। सकल ग़ैर निष्पादनकारी आस्तियों का सकल आस्तियों से प्रतिशत मार्च 2018 के 11.5 प्रतिशत से घटकर मार्च 2019 में 9.3 प्रतिशत हो गया है।
औद्योगिक इकाईयों की क्षमता का दोहन भी तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। यह वित्तीय वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के 75.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में 76.1 प्रतिशत हो गया है।
चालू खाता व्यापार घाटा अगस्त 2018 में 1740 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अगस्त 2019 में घटकर 1200 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति में भी ज़बरदस्त सुधार देखने में आ रहा है जो 31.08.2018 के 40,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर दिनांक 30.08.2019 को 42,860 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया है।